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दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं आतिशी: “क्या आतिशी सिर्फ दिखावे की सीएम हैं? जानें सच्चाई!”

दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है, जब आतिशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस निर्णय ने कई नेताओं और समर्थकों के बीच हलचल मचा दी है, लेकिन अगर कोई इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, तो वह हैं स्वाति मालीवाल। स्वाति की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और पार्टी के प्रति उनके व्यवहार ने उन्हें केजरीवाल की नजरों में कमजोर कर दिया था, और इस वजह से आज दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी हैं, न कि स्वाति मालीवाल।

क्या आतिशी का कार्यकाल सीमित है?

हालांकि आतिशी ने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली है, परंतु उनके कार्यकाल की अवधि केवल 100 दिनों की मानी जा रही है। फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, और इसके चलते आतिशी के पास नीतिगत फैसले लेने के लिए बहुत कम समय होगा।

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पहले ही साफ कर दिया है कि यदि पार्टी सत्ता में वापस आती है, तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वही लौटेंगे। इस प्रकार, आतिशी का यह कार्यकाल सिर्फ एक अस्थायी व्यवस्था मानी जा सकती है।

आतिशी का बढ़ता कद
आतिशी ने बहुत कम समय में पार्टी के भीतर और दिल्ली की जनता के बीच एक मज़बूत छवि बनाई है। उनके पास शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, और संस्कृति मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ रही हैं, जिन्हें उन्होंने सफलतापूर्वक संभाला है। उनकी पहचान एक मेहनती, सुलभ और जनसेवक नेता के रूप में बन चुकी है, जो जनता और मीडिया के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

आंदोलन के दिनों से लेकर अब तक, आतिशी ने केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ कदम मिलाकर काम किया है। यह उनका पार्टी के प्रति समर्पण और नेतृत्व की क्षमता है, जिसने उन्हें मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया।

क्या आतिशी के पास असली शक्ति होगी?
यह एक बड़ा सवाल है कि आतिशी के पास असली कार्यकारी शक्ति होगी या वह सिर्फ एक प्रतीकात्मक मुख्यमंत्री होंगी। क्योंकि पार्टी की कमान और चेहरे के रूप में अभी भी अरविंद केजरीवाल ही माने जा रहे हैं, पार्टी का भविष्य उन्हीं पर टिका हुआ है।

आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगला चुनाव केजरीवाल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, और अगर पार्टी जीतती है, तो मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे। इसलिए, आतिशी का यह कार्यकाल कितना प्रभावी होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

दिल्ली की राजनीति में आतिशी का मुख्यमंत्री बनना एक महत्वपूर्ण मोड़ है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनका यह कार्यकाल सीमित समय के लिए है। अगले चुनाव में पार्टी की रणनीति और दिल्ली के मतदाताओं का फैसला ही यह तय करेगा कि आतिशी का राजनीतिक सफर कितना लंबा और सफल होगा।

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